सात साल बाद फिर आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को मिलेगा गरम भोजन, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग ने तैयार किया है प्रस्ताव
सात साल बाद फिर आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को मिलेगा गरम भोजन
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बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग ने तैयार किया है प्रस्ताव
लखनऊ। सपा सरकार में बंद हो चुकी गरम भोजन योजना (हॉट कुक्ड मील) को योगी सरकार सात साल बाद फिर शुरू करने की तैयारी कर रही है। यानि आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आने वाले 3 से 6 साल की उम्र तक के बच्चों को गरम भोजन खिलाया जाएगा।
अखिलेश सरकार ने इस योजना को 2016 में बंद कर दिया था । अब प्रदेश सरकार इस योजना को फिर से शुरू करने के लिए बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया गया है। जिसे जल्द ही कैबिनेट से मंजूरी दिलाई जाएगी। सरकार के इस फैसले से एक करोड़ से अधिक लभार्थी बच्चों को लाभ मिलेगा।
खाद्य सुरक्षा कानून के प्रावधान के ताबिक साल में कम से कम 300 दिन लाभार्थियों को गरम भोजन बांटना अनिवार्य है। लेकिन यूपी में यह योजना करीब सात साल से बंद हैं। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने योजना को बंद किए जाने पर नाराजगी जताई थी और इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून का उल्लंघन माना था।
इसी कड़ी में केन्द्र सरकार ने प्रदेश सरकार को इस संबंध में पत्र लिखा था। जिसमें कहा गया था कि यूपी ही देश का एक मात्र राज्य है जहां लाभार्थियों को गर्म भोजन पोषाहार से वंचित रखा गया है। इसपर मुख्यमंत्री कार्यालय ने बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग से इस संबंध में जवाब मांगा था।
इसी कड़ी में अब विभाग ने इस योजना को शुरू करने का प्रस्ताव तैयार किया है। जिसे कैबिनेट से मंजूरी दिलाने के लिए गोपन विभाग को भेज दिया गया है। विभाग के उच्चपदस्थ सूत्र के मुताबिक जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी लेकर इस योजना को चालू किया जाएगा।
व्यवस्था बदली, पर नहीं चल पाई योजना
दिसंबर 2018 में योजना के क्रियान्वयन की व्यवस्था में बदलाव करते हुए योजना को प्राथमिक विद्यालयों में संचालित मध्यान्ह भोजन योजना (मीड डे मील) के साथ संबद्ध करके गरम भोजना वितरण करने का फैसला किया गया था। प्राथमिक विद्यालयों में बने कीचन, गैस और वर्तन का उपयोग गरम भोजन योजना के लिए भी किया जाना था। इसके बदले बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा प्रति बच्चे 50 पैसे की दर से किराये का भुगतान बेसिक शिक्षा विभाग को किया जाना था। लेकिन योजना का क्रियान्वयन नहीं हो पाया।
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