Skip to main content

बच्चे इंडिया नहीं, भारत पढ़ेंगे, प्राचीन इतिहास के बजाय शास्त्रीय इतिहास पढ़ाया जाएगा

तैयारी : बच्चे इंडिया नहीं, भारत पढ़ेंगे, NCERT को समिति ने सिफारिश भेजी

एनसीईआरटी की सिफारिश : प्राचीन इतिहास के बजाय शास्त्रीय इतिहास पढ़ाया जाएगा

19 सदस्यीय समिति बनाई गई है पाठ्यक्रम संशोधन के लिए



नई दिल्ली । राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की एक उच्च स्तरीय समिति ने स्कूली किताबों में 'इंडिया' की जगह 'भारत' शब्द के इस्तेमाल की सिफारिश की है। हालांकि, एनसीईआरटी के अध्यक्ष दिनेश सकलानी ने कहा, समिति की सिफारिशों पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।


सूत्रों ने दावा किया है कि किताबों में आवश्यक परिवर्तनों को लेकर बने पैनल के प्रस्ताव को एनसीईआरटी ने मंजूरी दे दी है। पैनल के सदस्यों में शामिल सी. आई. आइजक के हवाले से कहा गया है कि यह प्रस्ताव कुछ महीने पहले ही रखा गया था और अब इसे स्वीकार कर लिया गया है।


उधर, एनसीईआरटी ने कहा है कि वह नए पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तक विकास की प्रक्रिया में लगा है। इसके लिए संबंधित विषय विशेषज्ञों के विभिन्न पाठ्यचर्या क्षेत्र समूहों को अधिसूचित किया जा रहा है। अतः, संबंधित मुद्दे पर चल रही मीडिया रिपोर्ट पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी।



आइजक के अनुसार, समिति ने पाठ्यपुस्तकों में 'इंडिया' की जगह 'भारत' शब्द के इस्तेमाल के अलावा 'प्राचीन इतिहास' के स्थान पर 'क्लासिकल हिस्ट्री' शुरू करने, सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली शुरू करने की सिफारिश की है।


समिति के अध्यक्ष सीआई इसाक के मुताबिक समिति ने सर्वसम्मति से पाठ्यपुस्तकों में 'प्राचीन इतिहास' के बजाय 'शास्त्रीय इतिहास' को शामिल करने और सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) को भी शामिल करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि भारत सदियों पुराना नाम है। 7,000 वर्ष पुराने विष्णु पुराण जैसे ग्रंथों में भी इसका जिक्र है। बता दें कि एनसीईआरटी ने स्कूली पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए सामाजिक विज्ञान की समिति का गठन किया है।


हिंदू विजय गाथाओं पर जोर समिति ने पाठ्यपुस्तकों में विभिन्न संघर्षों में 'हिंदू विजय गाथाओं' पर जोर देने के लिए भी कहा है। आइजक ने बताया कि पाठ्यपुस्तकों में हमारी विफलताओं का उल्लेख किया गया है। लेकिन मुगलों और सुल्तानों पर हमारी विजयों का नहीं। एनसीईआरटी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप स्कूली पाठ्यपुस्तकों के पाठ्यक्रम संशोधित कर रहा है। परिषद ने हाल में पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण सामग्री को अंतिम रूप देने के लिए विशेष समिति गठित की थी।


बदलाव के पीछे तर्क

समिति प्रमुख आइजक ने कहा कि पाठ्यपुस्तकों में हमारी विफलताओं का उल्लेख है। लेकिन मुगलों और सुल्तानों पर हमारी विजयों का नहीं। अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास को तीन चरणों प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक में बांटा। इसमें भारत को अंधकारमय, विज्ञान और प्रगति से अनभिज्ञ बताया गया। इसलिए कुछ बदलाव की सिफारिश की गई है।


G20 के दौरान शुरू हुई चर्चा

एनसीईआरटी पैनल की सिफारिश ऐसे वक्त की गई है, जब सियासी हलको में इंडिया नाम बदलकर भारत रखने पर राजनीतिक चर्चाएं जोरों पर हैं। यह सुगबुगाहट बीते माह सितंबर में तब शुरू हुई जब जी20 के आयोजन के दौरान भारत की राष्ट्रपति के नाम से भेजे गए निमंत्रण पत्र में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की बजाय प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा गया था।


हमने सर्वसम्मति से किताबों में 'भारत' शब्द के इस्तेमाल की सिफारिश की है। हजारों वर्ष पुराने विष्णु पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भारत का जिक्र है। -आईसी आइजक समिति के अध्यक्ष



एनसीईआरटी की किताबों में होगा बदलाव विद्यार्थी 'इंडिया' की जगह पढ़ेंगे 'भारत'

समिति की सिफारिश, निदेशक बोले विशेषज्ञ समिति ही लेगी अंतिम निर्णय


नई दिल्ली: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत तैयार हो रही स्कूलों की नई किताबों में आने वाले दिनों में इंडिया की जगह यदि भारत शब्द पढ़ने को मिले तो बिल्कुल चौंकिएगा नहीं। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) से जुड़ी एक उच्चस्तरीय समिति ने एनईपी के तहत स्कूलों के लिए तैयार की जा रही सभी किताबों में इंडिया की जगह भारत शब्द के इस्तेमाल की सिफारिश की है। एनसीईआरटी ने इसकी पुष्टि नहीं की है और यह कहते हुए पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया है कि अभी पाठ्य पुस्तकों को तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है। वैसे भी विषय वस्तु में बदलाव को लेकर कोई भी फैसला लेने का अधिकार सिर्फ विशेषज्ञ समिति के पास है।


एनसीईआरटी की किताबों में इंडिया की जगह भारत शब्द के इस्तेमाल की चर्चा बुधवार को उस समय तेज हुई, जब पाठ्यक्रम तैयार करने से जुड़ी एक उच्चस्तरीय समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर सीआइ इसाक ने मीडिया को बताया कि उनकी समिति ने एनसीईआरटी की सभी पाठ्य पुस्तकों में इंडिया की जगह भारत शब्द के इस्तेमाल की सिफारिश की है। साथ ही प्राचीन इतिहास के स्थान पर शास्त्रीय इतिहास और सभी विषयों में भारतीय ज्ञान परंपरा को प्रमुखता से शामिल करने जैसे सुझाव भी दिए हैं। 


प्रोफेसर इसाक पद्मश्री से सम्मानित और प्रसिद्ध इतिहासकार हैं। वह भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद में भी रहे हैं और दशकों तक संघ परिवार के संगठनों से जुड़े रहे हैं। उन्होंने बताया, 'भारत सदियों पुराना नाम है। भारत नाम का प्रयोग विष्णु पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में किया गया है, जो 7,000 वर्ष पुराना है।' इसाक ने कहा कि समिति ने विभिन्न युद्धों में हिंदुओं की जीत को भी रेखांकित करने की सिफारिश की है। 


पाठ्य पुस्तकों में अभी हमारी विफलताओं का उल्लेख किया गया है, लेकिन मुगलों और सुल्तानों पर हमारी जीत का नहीं। अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास को तीन चरणों (प्राचीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक) में विभाजित किया था, जिसमें भारत को वैज्ञानिक ज्ञान और प्रगति से अनभिज्ञ दिखाया गया था। इसलिए समिति ने सुझाव दिया है कि भारतीय इतिहास के शास्त्रीय काल को मध्य और आधुनिक काल के साथ-साथ स्कूलों में पढ़ाया जाए। एनसीईआरटी द्वारा गठित इस समिति में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर रघुवेंद्र तंवर, जेएनयू की प्रोफेसर वंदना मिश्र, शिक्षाविद वसंत शिंदे और समाजशास्त्र की शिक्षक ममता यादव भी शामिल हैं।


एनसीईआरटी के निदेशक प्रोफेसर दिनेश प्रसाद सकलानी ने बताया कि प्रोफेसर इसाक की अध्यक्षता वाली समिति का गठन स्कूली पाठ्यक्रम का फ्रेमवर्क तैयार करने के लिए किया गया था। उस समय 24 और समितियां गठित की गई थीं। इन समितियों की सिफारिशों के आधार पर फ्रेमवर्क तैयार करने का काम पूरा हो गया है। अब इसी फ्रेमवर्क के आधार पर पाठ्य पुस्तकें तैयार की जा रही हैं, जिसके लिए विशेषज्ञ समिति काम कर रही है। ऐसे में पाठ्यक्रम में कौन सी विषयवस्तु शामिल की जा रही है। या कौन सी हटाई जा रही है, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। शिक्षा मंत्रालय का दावा है कि एनईपी के तहत स्कूलों की नई पाठ्य पुस्तकें अगले शैक्षणिक सत्र यानी 2024- 25 तक आ जाएंगी।


इंडिया के स्थान पर भारत नाम करने की खबर मात्र से ही विपक्षी दलों में इसको लेकर खलबली मच गई है। कई नेताओं ने इस पर एक्स पर पोस्ट कर अपनी तीखी प्रतिक्रिया जताई है। शिवसेना उद्धव गुट के सांसद संजय राउत ने कहा कि भारत हो या इंडिया हम तो एक हैं और जल्दी ही आपको पता चलेगा कि 2024 में इंडिया जीतेगा और भारत भी। वहीं राजद के सांसद मनोज झा ने आलोचना करते हुए कहा है कि एनसीईआरटी यह कर रही है, अनुच्छेद एक का आप क्या करेंगे।



source http://www.primarykamaster.in/2023/10/ncert.html

Comments

Popular posts from this blog

प्राथमिक शिक्षक संघ ने कोरोना काल में माह अप्रैल से 16 मई 2021 तक मृत 1621 शिक्षक-कर्मचारी की सूची की जारी

प्राथमिक शिक्षक संघ ने कोरोना काल में माह अप्रैल से 16 मई 2021 तक मृत 1621 शिक्षक-कर्मचारी की सूची की जारी   source http://www.primarykamaster.in/2021/05/16-2021-1621.html

अयोध्या : परिषदीय शिक्षकों की परीक्षा स्थगित, शासनादेश के विरुद्ध बताते हुए शिक्षक संघ द्वारा परीक्षा के औचित्य पर उठाया गया था सवाल

अयोध्या : परिषदीय शिक्षकों की परीक्षा स्थगित, शासनादेश के विरुद्ध बताते हुए शिक्षक संघ द्वारा परीक्षा के औचित्य पर उठाया गया था सवाल ● जिलाधिकारी के निर्णय के बाद परीक्षा स्थगित ● परिषदीय शिक्षकों की परीक्षा के औचित्य पर उठाया सवाल ● प्राथमिक शिक्षक संघ ने जिलाधिकारी से की मुलाकात ● शासनादेश का अनुपालन कराए जाने की डीएम से मांग उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष व प्रांतीय ऑडिटर नीलमणि त्रिपाठी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला अधिकारी से मिलकर 30 दिसंबर को आयोजित की जाने वाली परिषदीय शिक्षकों की परीक्षा के औचित्य पर सवाल उठाया है। फिलहाल जिलाधिकारी ने प्रकरण को गंभीरता से लेकर सकारात्मक निर्णय लेने का आश्वासन दिया है। संघ ने इस सम्बंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को भी ज्ञापन सौंपा है। जिलाध्यक्ष श्री त्रिपाठी ने बताया कि आधारशिला ध्यानाकर्षण एवं शिक्षण संग्रह मॉड्यूल पर क्विज प्रतियोगिता आयोजित किए जाने का मुख्य विकास अधिकारी ने निर्देश दिया है। प्रतियोगिता ऐच्छिक होती है बाध्यकारी नहीं। बावजूद इसके जनपद में परिषदीय शिक्षकों, शिक्षामित्रों, अन...

जीआईसी प्रवक्ता : 10 माह बाद भी नहीं हुई नियुक्ति, देरी का खामियाजा भुगतेंगे अभ्य्धी, वरिष्ठता का नहीं मिलेगा लाभ

प्रयागराज। राजकीय इंटर कॉलेज में प्रवक्ता के लिए 2014-15 में घोषित पदों पर पांच वर्ष बाद इस साल फरवरी-मार्च में रिजल्ट तो जारी हो गया लेकिन चयन के बाद भी अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं मिल सकी है। उप मुख्यमंत्री के निर्देश पर नियुक्ति के लिए प्रक्रिया तो शुरू हुई परंतु बीच वह भी अधर में फंस गई है। जबकि 22 दिसंबर को ही नियुक्ति पत्र मिल जाना चाहिए था । इस साल के खत्म होने में सिर्फ पांच दिन ही शेष बचे हैं। बाकी बचे चार दिनों में भी अगर नियुक्ति नहीं होती है तो पांच वर्ष से भर्ती का इंतजार कर रहे अभ्यर्थियों को एक वर्ष की वरिष्ठता का नुकसान उठाना होगा। राजकीय इंटर कॉलेजों में प्रवक्ता पदों पर चयनित 298 अभ्यर्थियों ने आठ से 15 दिसंबर के बीच नियुक्ति के लिए खुले पोर्टल पर ऑनलाइन कॉलेज लॉक किया। अभ्यर्थियों का कहना है कि माध्यमिक सचिव की ओर से 22 दिसंबर को नियुक्ति पत्र देने की बात कही गई थी। source http://www.primarykamaster.in/2020/12/10_27.html