Skip to main content

अनुदेशकों को भी मानदेय वृद्वि की जगी आस, 11 वर्षों में सात से नौ हजार पर टिका मानदेय, 17 हजार का हुआ था प्रस्ताव

अनुदेशकों को भी मानदेय वृद्वि की जगी आस,  11 वर्षों में सात से नौ हजार पर टिका मानदेय, 17 हजार का हुआ था प्रस्ताव



लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों के शिक्षामित्रों की तरह अब अनुदेशकों को भी मानदेय में वृद्धि की आस जगी है। महज 9,000 रुपये प्रतिमाह पाकर नौनिहालों का भविष्य संवारने में जुटे अनुदेशक सरकार से आस लगाए हुए हैं कि कमेटी बनाकर उनकी भी आर्थिक समस्याएं दूर की जाएंगी।



वर्ष 2013 में उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विषय विशेषज्ञ के रूप में अनुदेशक नियुक्त किए गए थे। वर्ष 2016 में राज्य सरकार ने मानदेय सात हजार से बढ़ाकर 8,470 रुपये कर दिया था। बाद में 2017 में फिर से मानदेय में कटौती करते हुए सात हजार रुपये कर दिया गया। जबकि वर्ष 2017 में प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पीएबी) ने अनुदेशकों के मानदेय में वृद्धि करके 17 हजार किया था। लेकिन राज्य सरकार ने इसपर ध्यान नहीं दिया। जिसके चलते अनुदेशकों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।


जिसपर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आर्थिक तंगी से जूझ रहे अनुदेशकों के पक्ष में निर्णय लेते हुए 17 हजार मानदेय देने का आदेश दिया था। लेकिन इसपर भी शासन की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया। स्थिति जस की तस बनी हुई है।  अनुदेशक  आज भी घर से 50 से 70 किलोमीटर दूर जाकर विद्यालय में पढ़ा रहे हैं।

इसके बदले उन्हें महज 9,000 के मानदेय में जीवन यापन करना पड़ रहा है। एक तरफ जहां शिक्षामित्रों को लेकर न्यायालय ने मानदेय बढ़ाने के लिए कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं तो अनुदेशक भी सरकार से कुछ ऐसी ही उम्मीद लगाए हुए हैं।


source http://www.primarykamaster.in/2024/01/11-17.html

Comments

Popular posts from this blog

प्राथमिक शिक्षक संघ ने कोरोना काल में माह अप्रैल से 16 मई 2021 तक मृत 1621 शिक्षक-कर्मचारी की सूची की जारी

प्राथमिक शिक्षक संघ ने कोरोना काल में माह अप्रैल से 16 मई 2021 तक मृत 1621 शिक्षक-कर्मचारी की सूची की जारी   source http://www.primarykamaster.in/2021/05/16-2021-1621.html

अयोध्या : परिषदीय शिक्षकों की परीक्षा स्थगित, शासनादेश के विरुद्ध बताते हुए शिक्षक संघ द्वारा परीक्षा के औचित्य पर उठाया गया था सवाल

अयोध्या : परिषदीय शिक्षकों की परीक्षा स्थगित, शासनादेश के विरुद्ध बताते हुए शिक्षक संघ द्वारा परीक्षा के औचित्य पर उठाया गया था सवाल ● जिलाधिकारी के निर्णय के बाद परीक्षा स्थगित ● परिषदीय शिक्षकों की परीक्षा के औचित्य पर उठाया सवाल ● प्राथमिक शिक्षक संघ ने जिलाधिकारी से की मुलाकात ● शासनादेश का अनुपालन कराए जाने की डीएम से मांग उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष व प्रांतीय ऑडिटर नीलमणि त्रिपाठी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला अधिकारी से मिलकर 30 दिसंबर को आयोजित की जाने वाली परिषदीय शिक्षकों की परीक्षा के औचित्य पर सवाल उठाया है। फिलहाल जिलाधिकारी ने प्रकरण को गंभीरता से लेकर सकारात्मक निर्णय लेने का आश्वासन दिया है। संघ ने इस सम्बंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को भी ज्ञापन सौंपा है। जिलाध्यक्ष श्री त्रिपाठी ने बताया कि आधारशिला ध्यानाकर्षण एवं शिक्षण संग्रह मॉड्यूल पर क्विज प्रतियोगिता आयोजित किए जाने का मुख्य विकास अधिकारी ने निर्देश दिया है। प्रतियोगिता ऐच्छिक होती है बाध्यकारी नहीं। बावजूद इसके जनपद में परिषदीय शिक्षकों, शिक्षामित्रों, अन...

जीआईसी प्रवक्ता : 10 माह बाद भी नहीं हुई नियुक्ति, देरी का खामियाजा भुगतेंगे अभ्य्धी, वरिष्ठता का नहीं मिलेगा लाभ

प्रयागराज। राजकीय इंटर कॉलेज में प्रवक्ता के लिए 2014-15 में घोषित पदों पर पांच वर्ष बाद इस साल फरवरी-मार्च में रिजल्ट तो जारी हो गया लेकिन चयन के बाद भी अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं मिल सकी है। उप मुख्यमंत्री के निर्देश पर नियुक्ति के लिए प्रक्रिया तो शुरू हुई परंतु बीच वह भी अधर में फंस गई है। जबकि 22 दिसंबर को ही नियुक्ति पत्र मिल जाना चाहिए था । इस साल के खत्म होने में सिर्फ पांच दिन ही शेष बचे हैं। बाकी बचे चार दिनों में भी अगर नियुक्ति नहीं होती है तो पांच वर्ष से भर्ती का इंतजार कर रहे अभ्यर्थियों को एक वर्ष की वरिष्ठता का नुकसान उठाना होगा। राजकीय इंटर कॉलेजों में प्रवक्ता पदों पर चयनित 298 अभ्यर्थियों ने आठ से 15 दिसंबर के बीच नियुक्ति के लिए खुले पोर्टल पर ऑनलाइन कॉलेज लॉक किया। अभ्यर्थियों का कहना है कि माध्यमिक सचिव की ओर से 22 दिसंबर को नियुक्ति पत्र देने की बात कही गई थी। source http://www.primarykamaster.in/2020/12/10_27.html