उच्च शिक्षा को लेकर बढ़ा रुझान, आठ वर्षों में 26 प्रतिशत बढ़ा नामांकन, मंत्रालय ने जारी की सर्वेक्षण रिपोर्ट
नई दिल्ली। उच्च शिक्षा को नई ऊंचाई देने और 2035 तक सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को 50 प्रतिशत तक पहुंचाने की मोदी सरकार की कोशिशें रंग लाती दिख रही हैं। देश में उच्च शिक्षा को लेकर रुझान बढ़ा है। उच्च शिक्षा के नामांकन में पिछले आठ वर्षों में 26 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।छात्राओं के नामांकन में यह बढ़ोतरी करीब 32 प्रतिशत है।
गुरुवार को शिक्षा मंत्रालय की ओर से उच्च शिक्षा को लेकर जारी अखिल भारतीय सर्वेक्षण-2021-22 की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। इसके साथ ही देश में उच्च शिक्षा का सकल नामांकन अनुपात अब बढ़कर 28.4 प्रतिशत हो गया है, जो 2014-15 में 23.7 प्रतिशत था।
सर्वेक्षण में बताया गया है कि देश में 2014-15 के दौरान उच्च शिक्षा के लिए 3.42 करोड़ छात्रों ने नामांकन कराया था, जबकि वर्ष 2021-22 में यह संख्या बढ़कर 4.33 करोड़ हो गई। इससे पहले 2020-21 में उच्च शिक्षा के लिए नामांकन कराने वाले छात्रों की संख्या 4.14 करोड़ थी।
उच्च शिक्षा को लेकर छात्राओं में सबसे अधिक रुचि देखी गई है। 2014-15 में देश में उच्च शिक्षा में नामांकन कराने वाली छात्राओं की संख्या जहां 1.57 करोड़ थी, वह 2021-22 में 2.07 करोड़ हो गई। एससी-एसटी छात्र-छात्राओं के नामांकन में भी काफी बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
अकेले अनुसूचित जनजाति (एसटी) की छात्राओं की संख्या में 80 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2014-15 में देश में उच्च शिक्षा हासिल करने वाली एसटी छात्राओं की संख्या 7.47 लाख थी, जो 2021-22 में 13.46 लाख हो गई।उच्च शिक्षा को लेकर यह बदलाव पीएचडी के नामांकन में भी साफ दिख रहा है।
वर्ष 2014-15 के मुकाबले 2021-22 में पीएचडी में 81 प्रतिशत से अधिक नामांकन हुआ है। वर्ष 2014-15 में पीएचडी में दाखिला लेने वालों की संख्या जहां 1.17 लाख थी, वह 2021-21 में 2.13 लाख हो गई। इनमें छात्राओं की संख्या दोगुनी हुई है। 2021-22 में पीएचडी में कुल 99 लाख छात्राओं में दाखिला लिया, जबकि 2014-15 में सिर्फ 48 हजार छात्राओं में पीएचडी में नामांकन कराया था।
source http://www.primarykamaster.in/2024/01/26.html
Comments
Post a Comment