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राज्यपाल आनंदीबेन की खरी खरी - एक भी डिग्री फर्जी गयी तो अनियमितता की होगी सजा

राज्यपाल आनंदीबेन की खरी खरी  - एक भी डिग्री फर्जी गयी तो अनियमितता की होगी सजा


पांच हजार डिग्री। सभी फर्जी। केस चला हाई कोर्ट में। क्या हम जिम्मेदार नहीं हैं। अब प्रण लीजिए एक भी डिग्री फर्जी नहीं होनी चाहिए। सालों से डिग्री नहीं दे रहे हैं। नैक से लेकर एनआईआरएफ से पीछे हट रहे हैं। समीक्षा बैठक में जो बातें सामने आयी। उसके बाद मुझे लगा कि ऐसे विश्वविद्यालय क्यों चलने चाहिए। यह बातें राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दीक्षांत समारोह में कहीं। उन्होंने दीक्षांत भाषण से अलग हटते हुए कहा कि पारदर्शिता से काम करें, नहीं तो कार्रवाई की जाएगी।




कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि सालों से लाखों डिग्रियां लंबित थी। विश्वविद्यालयों की समीक्षा में सवाल पूछा सालों से डिग्रियां लंबित क्यों पड़ी हैं, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। इसके बाद आदेश किया कि डिग्री लेने के लिए एक पैसा नहीं लेना है। अब विश्वविद्यालय डिग्री बांट रहे हैं। एकाउंट मैटेंन नहीं करते थे। जब कहा गया तो अब मेटेंन किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले सालों में 300 फाइल देखकर थक गयी हूं। अनियमिता है नियम के विरूद्ध काम हुए हैं। शिक्षकों की पदोन्नति में करने में किसी को भी दे दो। 


राज्यपाल ने कहा कि मैंने तय किया है कि ऐसी अनियमित काम की फाइल मेरे पास आएगी और मैं जब पता करूंगी तो आपको सजा होगी। लास्ट में जो साइन करता है उसकी जिम्मेदारी है। क्यों फाइल नहीं देखी। यह जिम्मेदारी सिर्फ वीसी की नहीं है। सभी शिक्षक, कर्मचारियों की है। नियुक्ति में पारदर्शिता की व्यवस्था की है, जो होनहार हैं उनको नौकरी मिलेगी।


नैक से डर, एनआईआरएफ को आवेदन तक नहीं
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय से कॉलेज हजार संबंधित हैं, लेकिन एनआईआरएफ रैंकिंग नहीं है। क्यों? क्या विश्वविद्यालय की कोई जिम्मेदारी नहीं है। नैक में जाने से हिचकिचाहट होती है। क्योंकि काम नहीं कर रहे हैं। हौसला होना चाहिए कि मेरे विश्वविद्यालय की ए डबल प्लस क्यों ना आए। इतने बड़े भवन हैं आपके पास। क्या नहीं है आप बताएं। आज भी पांच भवनों का लोकार्पण किया है। क्या बिल्डिंग से रैंकिंग होगा या क्वालिटी से होगा। क्वालिटी से लिए आपके प्रयास क्या हैं।



30 साल से कर रहे हैं काम, विश्वविद्यालय से नहीं शिक्षकों को लगाव

कुलाधिपति ने कहा कि कई-कई शिक्षक ऐसे है। जिनका जन्म ही विश्वविद्यालय में हुआ। यानि कि उन्होंने अपनी पहली सर्विस ही विश्वविद्यालय से शुरू की। उसके बाद से 30-30 साल हो गए हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता है कि आपका विश्वविद्यालय के साथ कुछ लगाव हुआ हो और जब तक लगाव नहीं होगा। तब तक विश्वविद्यालय में कोई बदलाव नहीं आएगा। सिर्फ लेक्चर लेना और घर चले जाना आपका काम नहीं है। ऑनलाइन पढ़ाना सीखें। पढ़ाई में आईटी का प्रयोग करें।


source http://www.primarykamaster.in/2021/12/blog-post_22.html

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