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कोरोना काल में स्कूल बंद होने से छोटी कक्षाओं के छात्र अक्षर ज्ञान भी भूले

कोरोना काल में स्कूल बंद होने से छोटी कक्षाओं के छात्र अक्षर ज्ञान भी भूले


कोरोना काल में स्कूलों के बंद होने से छात्रों की सीखने और पढ़ने की क्षमता प्रभावित हो रही है। इस कारण छोटी कक्षाओं में पढ़ने वाले छात्र अक्षर भी भूलने लगे हैं। ऐसे छात्रों की शिक्षा को फिर से पटरी पर लाने की तैयारी है। तस्वीरों, कहानियों और दूसरी गतिविधियों के जरिए छात्रों को अक्षर पढ़ने, लिखने और बोलने को लेकर सक्षम बनाया जाएगा।



एससीईआरटी का परिपत्र जारी: राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् (एससीईआरटी) दिल्ली की ओर से हाल ही में परिपत्र जारी किया गया है। जिसे लेकर दिल्ली के सरकारी स्कूल से लेकर निगम स्कूलों में 14 हफ्तों के लिए नर्सरी से आठवीं के छात्रों के लिए विशेष अभियान चलेगा। 


इस अभियान को सभी स्कूलों में लागू करने को लेकर दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। साथ ही दिल्ली के अलग-अलग जिलों को लेकर नौ नोडल अधिकारियों की एक समिति भी गठित की गई है।


छात्रों को कार्य पुस्तिका मिलेगी: छात्रों को सप्ताह में छह कार्य पुस्तिका उपलब्ध कराई जाएंगी। अंग्रेजी, हिंदी और अंक गणित की दो-दो लघु कथाएं, गीत, कविताएं और संख्यात्मक गतिविधियां दी जाएंगी। इसके अलावा चित्र देखकर समझने और कहानी बनाने से जुड़ी गतिविधियां भी अभियान का हिस्सा होंगी।


कई माध्यमों का प्रयोग: एससीईआरटी के अनुसार इन कार्य पुस्तिका के माध्यम से छात्रों को बोलने, सुनने, पढ़ने, लिखने और संख्यात्मक गतिविधियों को करने के लिए उन्मुख बनाना जाएगा, ताकि स्कूल बंद होने के वर्तमान चरण के दौरान उनकी मूलभूत सीखने की क्षमता में सीखने की हानि कम से कम हो।

रिपोर्ट में क्या

वर्ष 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, कोविड के चलते सभी कक्षा के छात्रों में सीखने की क्षमता कम हुई है। दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पिछले वर्ष अक्तूबर में रिपोर्ट के हवाले से भी यह जानकारी दी थी। वर्ष 2019-20 की तुलना में 2020-2021 में 17 फीसदी से अधिक छात्र अक्षर नहीं पढ़ सके। यह केवल प्राथमिक कक्षा के छात्रों की बात नहीं है, बल्कि बड़ी कक्षा में भी ऐसा देखने को मिला है। 14-18 वर्ष की उम्र वाले 80 छात्रों का सीखने का स्तर कम हुआ है।


सामाजिक, शारीरिक और मानसिक प्रभाव भी पड़ा

लैसेंट में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार स्कूलों के बंद होने का छात्रों पर सामाजिक, शारीरिक और मानसिक प्रभाव भी पड़ता है। यूनिसेफ की एक रिपोर्ट में भी एक तिहाई अभिभावकों ने बच्चों के सामाजिक और भावनात्मक स्वास्थ्य प्रभावित होने के बारे में सूचना दी है।


source http://www.primarykamaster.in/2022/01/blog-post_67.html

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