विश्वविद्यालयों में लंबित डिग्रियां निशुल्क बांटें : आनंदीबेन
लखनऊ : राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में वितरण के लिए लम्बित पड़ी पुरानी डिग्रियों और भविष्य में दीक्षान्त के बाद छात्रों को अविलम्ब डिग्री वितरण का निर्देश दिया है। राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता ने बताया कि राज्यपाल के संज्ञान में आया है कि इनमें से कई डिग्रियां 10 से 12 वर्ष या उससे भी अधिक पुरानी हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि इसके लिए ऐसी व्यवस्था बनाई जाए, जिससे लम्बित डिग्रियों का शीघ्र वितरण हो सके और भविष्य में दीक्षान्त के तत्काल बाद सभी छात्रों को उनकी डिग्रियां तत्काल वितरित हो जाएं। बहुत पुरानी डिग्री प्राप्त करने में छात्रों में रूचि का भी अभाव है। पुरानी डिग्रियों को सुरक्षित रखने का कार्य भी विश्वविद्यालयों द्वारा किया जा रहा है। इसलिए पुरानी डिग्रियों के वितरण में जरूरी नियमों को शिथिल कर छात्रों को उनकी डिग्री प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
महेश कुमार गुप्ता ने बताया कि राज्यपाल की मंशा के अनुरूप इस संदर्भ में गठित कमेटी से विचार-विमर्श कर यह निर्णय लिया गया है कि लम्बित डिग्रियों को वितरित करने के लिए उपाधि शुल्क लेने की बाध्यता समाप्त कर दी जाए और सभी डिग्रियां निःशुल्क वितरित की जाएं। चूंकि पुराने छात्रों को अंतिम अंकपत्र पर प्रोविजनल डिग्री सर्टिफिकेट निर्गत किए गए होंगे इसलिए डिग्री वितरण में अब अदेयता प्रमाण-पत्र की अनिवार्यता शिथिल किए जाने का निर्णय लिया गया है। साथ ही डिग्री भेजने के लिए इन छात्रों से कोई आवेदन पत्र नहीं लिया जाए और लम्बित डिग्री वितरण में दी जा रही छूटों का प्रचार-प्रसार किया जाए और अभियान चलाकर छात्रों को डिग्री उपलब्ध करा दी जाए।
कमेटी द्वारा छात्रों को अविलम्ब डिग्री वितरण के लिए पांच बिन्दुओं पर व्यवस्था निर्धारित कराने के निर्णय लिये गये हैं, जिसमें सभी विश्वविद्यालयों द्वारा अनिवार्य रूप से डिजी लॉकर में डिग्री उपलब्ध कराना, छात्रों से उपाधि शुल्क शिक्षा सत्र के अंतिम वर्ष या अंतिम सेमेस्टर की फीस के साथ जमा करा लिया जाना, छात्रों को अंतिम अंकपत्र या प्रोविजनल डिग्री सर्टिफिकेट देने से पूर्व उनसे अदेयता प्रमाण-पत्र प्राप्त कर लेना, छात्र को डाक से डिग्री भेजने के विकल्प के लिए उसका पता प्राप्त कर लेना शामिल है। इसके साथ ही डिग्री भेजने के लिए छात्रों से कोई आवेदन पत्र न लेने का बिन्दु भी शामिल है।
source http://www.primarykamaster.in/2021/09/blog-post_316.html
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