नए शिक्षा चयन आयोग अधिनियम में मांगी शिक्षक सेवा सुरक्षा की धारा
विधेयक में अधिनियम 1982 की धारा 18 व 21 का वर्णन नहीं
धारा 18 में तदर्थ प्रधानाध्यापक की व्यवस्था है एवं 21 में प्रबंधक मनमानी नहीं कर सकेंगे
प्रयागराजः उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का विधेयक सदन में पेश किए जाने पर अधिनियम 2023 की धारा 31 (1) से उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम 1982 की धारा 18 एवं 21 को हटाए जाने का शिक्षकों ने विरोध किया है। कहा है कि यह दोनों धाराएं नहीं होने से शिक्षकों की सेवा सुरक्षा खतरे में रहेगी।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उप्र ने प्राथमिक से लेकर उच्च एडेड शिक्षण संस्थानों तक में शिक्षक भर्ती के लिए गठित हो रहे आयोग में दोनों धाराएं जोड़ने की मांग की है। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम 1982 की धारा 18 में एडेड माध्यमिक विद्यालयों में चयनित प्रधानाचार्य के सेवानिवृत्त होने पर 60 दिन में नया चयनित प्रधानाचार्य नहीं आने पर विद्यालय के वरिष्ठतम शिक्षक को तदर्थ प्रधानाचार्य नियुक्त किए जाने एवं उन्हें वेतन दिए जाने की व्यवस्था है।
इसी तरह धारा 21 में बिना चयन बोर्ड की अनुमति के शिक्षक को निलंबित करने का अधिकार प्रबंधतंत्र को नहीं है। शिक्षकों की एक बैठक में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश के मंत्री डा. संतोष कुमार शुक्ल ने कहा है कि सदन में पेश किए गए विधेयक में दोनों धाराओं का उल्लेख नहीं है। ऐसे में धारा 21 के हटने से प्रबंध तंत्र उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के पूर्व अनुमोदन के बिना शिक्षकों को निलंबित कर सकेगा।
यह अन्यायपूर्ण है और इससे तानाशाही विचारधारा को बढ़ावा मिलेगा। ऐसी स्थिति में या तो मुकदमे बढ़ेंगे या शिक्षक प्रबंधतंत्र एवं अधिकारियों के कठपुतली बनने को विवश होंगे। डा. अभिषेक मिश्र, डा. योगेंद्र सिंह, डा. उमेश. पूनम आदि शामिल हुए। माध्यमिक शिक्षा मंत्री से यह धाराएं अधिनियम में जोड़ने की मांग की है।
source http://www.primarykamaster.in/2023/08/blog-post_97.html
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