गैजेट के न बनें गुलाम, परीक्षा पे चर्चा में प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा, सफलता सिर्फ मेहनत के बल पर ही संभव
गैजेट के न बनें गुलाम, परीक्षा पे चर्चा में प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा, सफलता सिर्फ मेहनत के बल पर ही संभव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छात्रों को सुझाव दिया है कि वे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के गुलाम न बनें। अपनी क्षमता पर विश्वास रखें और लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें। छात्र अपनी मेहनत और बुद्धिमानी से गैजेट को भी पीछे छोड़ सकते हैं। तनावमुक्त रहकर कड़ी मेहनत से सफलता की बुलंदियों को हासिल किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के छठे संस्करण के दौरान छात्रों से संवाद किया। इस दौरान विभिन्न राज्यों से छात्र, शिक्षक और अभिभावक भी ऑनलाइन इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
मोदी ने परीक्षाओं में अनुचित प्रथाओं के इस्तेमाल के खिलाफ दृढ़ता से बात की और छात्रों को परीक्षा के तनाव से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि भारत में लोग 24 घंटे में से औसतन छह घंटे स्क्रीन पर बिताते हैं। यह चिंता का विषय है। गैजेट पर इतना समय बिताना अपनी ऊर्जा को व्यर्थ में बर्बाद करना है। मोदी ने छात्रों से कहा कि वे गैजेट के अत्यधिक उपयोग से बचें और अपना ज्यादातर समय करियर निर्माण में लगाएं।
डिजिटल उपवास करें
प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस तरह से धार्मिक उपवास करते हैं, वैसे ही छात्रों को सप्ताह में एक दिन डिजिटल उपवास करना चाहिए। उस दिन किसी गैजेट का इस्तेमाल नहीं करना है। गैजेट से ज्यादा स्मार्ट आप हो सकते हैं। जब आप स्मार्ट तरीके से गैजेट्स का इस्तेमाल करना शुरू करेंगे तो आपको बेहतर परिणाम मिलेंगे।
शॉर्टकट न अपनाएं
मोदी ने कहा कि छात्रों को कभी भी शॉर्टकट नहीं अपनाना चाहिए। नकल से एक या दो परीक्षाओं में मदद मिल सकती है, लेकिन लंबे समय तक सफलता सिर्फ मेहनत के बल पर ही हासिल की जा सकती है। छात्रों को समय-समय पर खुद पर पड़ने वाले दबाव का विश्लेषण करना चाहिए कि कहीं वे अपनी क्षमता को कम तो नहीं आंक रहे हैं।
ये सवाल आउट ऑफ सिलेबस
सिक्किम की छात्रा अष्टमी ने मोदी से पूछा, जब विपक्ष, मीडिया आपकी आलोचना करता है तो इनका सामना कैसे करते हैं। इस पर पीएम ने कहा कि ये सवाल आउट ऑफ सिलेबस है। उन्होंने कहा कि आलोचना लोकतंत्र में शुद्धिकरण की तरह है। आलोचना से बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
परीक्षा पे चर्चा: पीएम मोदी से हुए इन 12 सवालों के जरिए समझे पूरा सार
भारत सरकार 27 जनवरी, 2023 को परीक्षा पे चर्चा 2023 आयोजित की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ बातचीत की। पीएम पीएम मोदी ने परीक्षा पे चर्चा 2023 कार्यक्रम में छात्रों व शिक्षकों के कई सवालों के जवाब दिए। प्रधानमंत्री मोदी ने परीक्षा पे चर्चा पर बात करते हुए कहा कि मुझे बच्चे अपनी समस्या बताते हैं। अपनी व्यक्तिगत पीड़ा भी बताते हैं। यह मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है। मुझे जानकारी होती है कि युवा पीढ़ी क्या चाहती है। युवाओं को सरकार से क्या उम्मीदें हैं। पीएम मोदी ने कहा कि मैंने अपने सिस्टम से कहा कि इन सभी सवालों को संभालकर रखें ताकि आने वाले 10-15 साल बाद इन पर एनालिसिस किया जा सके। क्योंकि पीढ़ी बदलती जाती है।
सवाल 1- एक शिक्षिका ने पीएम मोदी से पूछा- समाज में छात्र कैसा बर्ताव करें?
पीएम मोदी ने कहा, "बच्चों को समाज के भिन्न-भिन्न पहलुओं को जानने का मौका देना चाहिए। उसे ऐसा करना चाहिए और उसे वैसा नहीं करना चाहिए। उसे बंधनों में मत बांधिए। अगर कोई फरमान निकाले कि पतंगों को यूनीफॉर्म पहनाएं तो उड़ेगी क्या। इसका कोई लॉजिक नहीं है। बच्चों को बाहर निकलने देना चाहिए। बच्चों को अपने दायरे में बंद मत करें। लेकिन हमारा ध्यान रहना चाहिए कि कहीं उसकी आदतें तो खराब नहीं हो रही है। बच्चे के स्वभाव का ध्यान रखना चाहिए। हमें समाज के विस्तार की ओर ले जाना चाहिए। उसे जीवन की भिन्न-भिन्न चीजों से जुड़ने देना चाहिए। लोगों से बात करने देना चाहिए। "
सवाल 2 – शिक्षिका ने पीएम मोदी से पूछा- कक्षा में पढ़ाई के लिए विद्यार्थियों को कैसे आकर्षित करें?
इस सवाल पर पीएम मोदी बोले- "आजकल प्रश्न आता है कि शिक्षक अपने में खोए रहते हैं। पुराने समय में शिक्षक जो तैयारी करके आते हैं और वह भूल जाते हैं तो वह छात्रों से छिपाना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि छात्र उसे पकड़ें नहीं। अब टीचर सेलेब्स मोबाइल में लेकर आता है। कई बार मोबाइल से सेलेब्स हट जाता है। विद्यार्थियों के साथ जितना अपनापन बनाएंगे। विद्यार्थी आपके ज्ञान की कसौटी नहीं चाहता है। अगर विद्यार्थी सवाल पूछता है तो उसकी जिज्ञासा है। उसकी जिज्ञासा को शिक्षक प्रमोट करें। उसे चुप न करें। अगर शिक्षक को सवाल का जवाब नहीं आता है तो उससे कहिए कि आपने बहुत अच्छा सवाल पूछा है। मैं आपको जल्दबाजी में जवाब नहीं देना चाहता। कल बैठते हैं। घर जाकर शिक्षक तैयारी करे। दूसरे दिन उसे उसकी जिज्ञासा को शांत करें। आज भी छात्र अपने शिक्षक की बात को बहुत मूल्यवान समझता है। इसलिए बात बताने से पहले समय लें।"
सवाल 3: क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे पुरानी भाषा कौन-सी है? जानें यहां-
भारत विविधताओं से भरा देश है। हम गर्व से कह सकते हैं कि हमारे पास हजारों भाषाएं हैं। हमें अपनी इस समृद्धि पर गर्व होना चाहिए। कोई विदेशी व्यक्ति हमें मिल जाए और उसे पता चल जाए कि हम भारत से हैं और उसे थोड़ा बहुत पता हो तो वह नमस्ते बोलेगा। पीएम मोदी ने आगे कहा कि अक्सर लोग कहते हैं कि मन करता है कि तबला सीखूं। इससे हमारे अंदर विधा बढ़ती है। अगर हम समय लगाकार आसपास के देशों की भाषाएं सीख जाते हैं तो इसमें बुराई नहीं है। कभी-कभी मुझे दुख होता है कि कहीं कोई देश में अच्छा स्मारक हो और कोई कहे कि यह दो हजार साल पुराना है तो हमें गर्व होता है। फिर यह विचार नहीं आता है कि यह किस कोने में है। हम सोचते हैं कि हमारे पूर्वजों को कितना ज्ञान होगा। दुनिया की सबसे पुरातन भाषा जिस देश के पास हो तो उसे गर्व होना ही चाहिए। सीना तानकर कहना चाहिए कि हमारे पास पुरानी भाषा है। तमिल भाषा दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है। इतनी बड़ी अमानत देश के पास है। इतना बड़ा गौरव के पास है।
सवाल 4 : छात्रों ने पीएम मोदी से पूछा कि मेहनत करने के बाद भी नहीं मिलता है मनचाहा परिणाम तो क्या करें?
इस सवाल पर पीएम मोदी ने कहा परीक्षा देने के बाद जब छात्र आते हैं तो घर पर बोलते हैं कि 90 प्रतिशत पक्का है। परिणाम अच्छा है। छात्रों की बात को घर वाले मान भी लेते हैं। जब रिजल्ट आता है 40-42 प्रतिशत तो मन उखड़ जाता है। इसलिए सच्चाई से मुकाबला करने की आदत नहीं छोड़नी चाहिए। हमें सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए। अगर पहले से ही आप सच बोल देंगे तो घर में तनाव नहीं होगा। तनाव का कारण आपके दोस्त हैं। क्योंकि दिमाग में रहता है कि वो ऐसा करते है तो मैं भी वैसा ही करुंगा। हम दिन रात प्रतिस्पर्धा में जीते हैं। हम अपने लिए जिएं। हमें अपने भीतर के सामर्थ्य पर बल देना चाहिए। अगर हम ऐसा करते हैं तो तनाव कम होता है। जिस दिन हम मान लेते हैं कि अगर यह परीक्षा गई तो जिंदगी गई। एक स्टेशन से कोई रुकता नहीं है। एक परीक्षा जीवन का अंत नहीं होना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि अगर आप परिणाम से निपटने के लिए तैयार रहते हैं तो जिंदगी की किसी भी स्थिति को काट सकते हैं।
सवाल 5: सोशल मीडिया से ध्यान हटाकर पढ़ाई पर कैसे फोकस करें?
इस सवाल के जवाब पर पीएम मोदी ने कहा कि सबसे पहले निर्णय यह करना है कि आप स्मार्ट हैं या गैजेट स्मार्ट है। कभी-कभी लगता है कि आप अपने से भी ज्यादा गैजेट को समार्ट मान लेते हैं और गलती यही से शुरू होती है। आप विश्वास करिए। ईश्वर से आपको बहुत शक्ति दी है। आप स्मार्ट हैं। गैजेट आपसे ज्यादा स्मार्ट नहीं हो सकता है। आप जितने स्मार्ट होंगे उतना ही स्मार्ट तरीके से गैजेट का इस्तेमाल कर पाएंगे। दूसरा यह देश का चिंता का विषय भी है। भारत में औसतन छह घंटे लोग स्क्रीन पर लगाते हैं। जो इसका बिजनेस करते हैं उनके लिए खुशी की बात है। जब मोबाइल पर टॉक टाइम होता था उस समय औसतन समय 20 मिनट जाते थे। इस समय रील में जाते हैं तो बाहर नहीं निकलते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि गैजेट हमें गुलाम बना देता था हम उसके गुलाम बनकर जी नहीं सकते हैं। इसलिए हमें सचेत रहना चाहिए कि कहीं मैं इसका गुलाम तो नहीं हूं। आपने मेरे हाथ में बहुत कम ही मोबाइल फोन देखा होगा। मैं एक्टिव रहता हूं लेकिन उसके लिए मैंने समय तय किया है। इसलिए हमें खुद से कोशिश करनी चाहिए कि हम गैजेट के गुलाम न बनें।
सवाल 6: आलोचना व आरोप में क्या अंतर है? समझें पीएम मोदी से
पीएम मोदी ने कहा कि आलोचना करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। अध्ययन करना पड़ता है। भूतकाल देखना पड़ता है, भविष्य देखना पड़ता है। आजकल शार्टकट का जमाना है। इसलिए आजकल लोग आरोप लगाते हैं। आलोचना और आरोप के बीच बहुत बड़ी खाई है। आरोप को आचोलना नहीं समझना चाहिए। हालांकि आलोचना को लाइट नहीं लेना चाहिए।
सवाल 7: टोका-टोकी से बाहर निकलें अभिभावक
पीएम मोदी ने कहा कि छात्र ध्यान रखें कि टोका-टोकी आलोचना नहीं है। लेकिन मैं अभिभावकों से आग्रह करुंगा कि वह टोका-टोकी से बाहर निकलें।
सवाल 8- लोगों की आलोचनाओं का कैसे करें सामना?
इस सवाल के जवाब पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा छात्र परीक्षा देते हैं और घर आकर अभिभावकों, दोस्तों या शिक्षकों के पास बैठते हैं। अगर किसी सवाल का जवाब नहीं आया तो पहला जवाब आता है कि आउट ऑफ सेलेबस था। ठीक इसी तरह यह भी आउट ऑफ सेलेबस है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि मैं सिद्धांत मानता हूं कि समृद्ध लोकतंत्र के लिए आलोचना जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि आजकल कुछ कंपनियां अपने सामान को सामने रखती हैं और कहती हैं कि उनके प्रोक्डट में कमियां बताए और इनाम मिलेगा। कई बार जरूरी होता है कि आचोलना करने वाला कौन है। अगर आपका प्रिय दोस्त आपकी आलोचना करता है तो आपका अलग रिएक्शन करता है। वहीं एक दूसरा दोस्त जिसकी बातें आपको पसंद नहीं आती हैं वह आलोचना करेगा तो आपका दूसरा रिएक्शन करेगा।
सवाल 9- स्मार्ट वर्क और हार्ड वर्क का अंतर समझाने के लिए पीएम मोदी ने सुनाई ये कहानी
इस सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा कौवे की एक पुरानी कहानी सुनाई। उन्होंने कहा कि आप सभी ने प्यासे कौवे की कहानी सुनी होगी, जिसमें कौवा मटके में कम पानी होने पर कंकड डालें, जिससे पानी ऊपर आ जाता है और फिर वह पानी पी पाता है। क्या ये उसका हार्डवर्क था या स्मार्टवर्क? कुछ लोग हार्डली स्मार्टवर्क करते हैं जबकि कुछ लोक स्मार्टली हार्डवर्क करते हैं। कौवे से हमें यही सीखना है। पीएम मोदी ने कहा कि कुछ लोग होते हैं जो हार्डवर्क ही करते रहते हैं। कुछ लोग होते हैं जिनके जीवन में हार्डवर्क का नामो निशान नहीं होता है। कुछ लोग होते हैं जो मुश्किल से हार्डवर्क करते हैं और कुछ लोग मुश्किल से स्मार्ट वर्क करते हैं। कौवे ने सिखाया है कि कैसे हार्डवर्क को स्मार्टली करना है।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि एक बार मेरी जिप्सी खराब हो गई थी। हम हार्डवर्क करके उसे ठीक करना चाहते थे लेकिन ठीक नहीं हुई। फिर एक मैकेनिक ने उसे मुश्किल से दो मिनट में ठीक कर दिया। मैकेनिक ने गाड़ी ठीक करने के दो सौ रुपए मांगे। पीएम मोदी ने आगे कहा कि मैंने उससे कहा कि दो मिनट के दो सौ, तब मैकेनिक ने कहा कि सर ये दो मिनट के नहीं पिछले 50 साल के अनुभव के दौ सौ रुपए हैं। उन्होंने कहा कि इसका अर्थ है कि हार्डवर्क के साथ स्मार्टवर्क भी जरूरी है।
सवाल 10 : छात्र ने पूछा- परीक्षा में अनुचित साधनों से कैसे बचें?
छात्रों के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि लोग पहले भी चोरी या नकल करते थे लेकिन छुप छुपकर करते थे। लेकिन अब गर्व से कहते हैं कि सुपरवाइजर को बेवकूफ बना दिया। यह जो बदलाव आया है वह खतरनाक है। दूसरा अनुभव यह है जो स्कूल या ट्यूशन चलाते हैं अभिभावक। वह टीचर भी सोचते हैं कि मेरा छात्र आगे निकल जाए इसलिए नकल को बढ़ावा देते हैं। वहीं कुछ छात्र नकल करने के तरीके खोजने में बहुत क्रिएटिव होते हैं। पीएम मोदी ने आगे, "मुझे कभी कभी लगता है कि अगर चोरी करने वाले अपने टैलेंट को सीखने में लगाता तो अच्छा कर पाता। किसी को उसे गाइड करना चाहिए था। अब जिंदगी बहुत बदल चुकी है। आज आपको हर जगह परीक्षा देनी होती है। नकल से जिंदगी से नहीं बनती है हो सकता है कि नकल से परीक्षा में नंबर तो ले आए। एक-आधे एग्जाम में नकल से पास भी हो जाओ लेकिन आगे जाकर ऐसे छात्र जिंदगी में फंसे रहेंगे। जो छात्र कड़ी मेहनत करते हैं उनकी मेहनत उनकी जिंदगी में रंग लाएगी।"
सवाल 11 : पीएम मोदी बोले- टाइम मैनेंजमेंट पर ध्यान दें
पीएम मोदी से परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में एक छात्रा ने पूछा कि परीक्षा के दौरान पढ़ाई कहां से शुरू करें? वहीं एक अन्य छात्रा ने पूछा कि वह अपने कार्यों को कहां से शुरू करें। वह अपने सभी कार्यों को समय पर कैसे पूरा करें? जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि काम का ढेर क्यों हो जाता है क्योंकि समय पर आपने काम किया नहीं। काम करना शुरू करें। कागज पर एक सप्ताह नोट करें कि आप अपना समय किस चीज को कितना देते हैं। इससे आपको ध्यान में आएगा कि जो आपको सबसे ज्यादा पसंद है उसी में आप सबसे ज्यादा ध्यान लगाते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि जो विषय आपको कम पसंद हैं उन्हें भी समय देना शुरू करें। ऐसा करने से आपको आराम मिलेगा। आराम से अपने काम को बांटे। किस विषय को कितना टाइम देना है, उसको वर्गीकृत करें। इससे लाभ होगा
सवाल 12
मदुरई से अश्विनी ने पूछा सवाल- मदुरई से अश्विनी ने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा कि घर वालों के प्रेशर को कैसे हैंडल किया जाए जो परीक्षा परिणाम के उम्मीदों से जुड़ा होता है।
पीएम मोदी ने कहा कि परिवार की अपेक्षाएं होना स्वाभाविक है। लेकिन परिवार के लोग सोशल स्टेटस के चलते मार्क कर रहे हैं तो यह चिंता का विषय है। माता-पिता को सामाजिक दवाब में दवाब ट्रांसफर नहीं करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि बच्चों को फोकस बनाकर रखना चाहिए। अगर बच्चे फोकस बनाकर रखेंगे तो इस समस्याओं को पार कर लेंगे। कैसे क्रिकेट के मैदान में खिलाड़ी का उत्साह वर्धन करते हैं, बार-बार चौके छक्के लगाने के लिए कहते हैं, लेकिन क्या खिलाड़ी लगा पाता है, नही ना, वह अपने खेल पर फोकस करता है। अपने हिसाब से खेलता है और अपने ऊपर दवाब को हावी नहीं होने देता। इसलिए जरूरी है कि आप अपनी पढ़ाई पर फोकस करें।
इस वर्ष पीपीसी 2023 के लिए लगभग 38 लाख छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। शिक्षा मंत्री के अनुसार, 20 लाख प्रश्न प्राप्त हुए हैं और एनसीईआरटी ने फैमिली प्रेशर, कैसे फिट और हेल्दी रहें, करियर सेलेकिशन, स्ट्रेस मैनेजमेंट समेत कई अन्य विषयों को चुना है।
शिक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, इस साल 'परीक्षा पे चर्चा' के लिये 38.80 लाख हिस्सेदारों ने पंजीकरण कराया है, जिसमें 31.24 लाख छात्र, 5.60 लाख शिक्षक और 1.95 लाख अभिभावक शामिल हैं।
कहां देखें परीक्षा पे चर्चा?
❤️ नीचे दिए गए सीधे लिंक के माध्यम से परीक्षा पर चर्चा को लाइव देख सकते हैं।
source http://www.primarykamaster.in/2023/01/blog-post_98.html
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