प्राइमरी के बच्चों की अंग्रेजी भी सुधारेगी पंचतंत्र की कहानियां
प्रयागराज।बच्चों को नैतिक शिक्षा का ज्ञान देने वाली पंचतंत्र की कहानियां अब उनकी अंग्रेजी भी सुधारेंगी। प्रदेश के 1,13,289 परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा एक से पांच तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं के लिए आंग्ल भाषा शिक्षण संस्थान (ईएलटीआई) ऑडियो कंटेंट तैयार कर रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप इसमें नई कहानियों के अलावा पंचतंत्र की कहानियों, हितोपदेश और लोककथाओं आदि को रोचक और संगीतबद्ध तरीके से समाहित किया गया है।
पांच से दस मिनट तक के ऑडियो कंटेंट में छोटी-छोटी कहानियां और कविताएं यू-ट्यूब पर दिसंबर अंत तक उपलब्ध कराई जाएंगी जिसे परिषदीय शिक्षक अपने स्मार्टफोन या पेनड्राइव में डाउनलोड कर स्कूलों को उपलब्ध कराए गए ब्लूटूथ स्पीकर के माध्यम से बच्चों को सुनाएंगे। ये किस्से-कहानियां हिन्दी व अंग्रेजी दोनों मिश्रित भाषा में हैं और कक्षा बढ़ने के साथ अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग भी बढ़ा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर कक्षा एक के बच्चों के लिए तैयार कहानी में 10 प्रतिशत शब्द अंग्रेजी के हैं।
जैसे-जैसे क्लास बढ़ेगी अंग्रेजी शब्द भी बढ़ते जाएंगे। खास बात यह है कि ईएलटीआई के विशेषज्ञ और 30 बच्चों की टीम बिना किसी रिकॉर्डिंग स्टूडियो के सामान्य स्मार्टफोन से यह ऑडियो कंटेंट तैयार कर रही है। इससे बच्चों की अंग्रेजी सुधारने के साथ उनमें ध्यान से सुनने की आदत विकसित होगी। मूल्यों के विकास और हिन्दी के अच्छे व मानक शब्दों को भी सिखाया जा सकेगा। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों से ऑडियो कंटेंट का मूल्यांकन भी कराया जा रहा है।
शिक्षक संदर्शिका भी तैयार कर रहे
ऑडियो कंटेंट के उपयोग के लिए शिक्षक संदर्शिका भी तैयार की जा रही है। संदर्शिका में किस्से- कहानियां सुनाने से पहले और बाद में अपेक्षित गतिविधि की जानकारी रहेगी। इसके अलावा इसमें कठिन और महत्वपूर्ण शब्दों के साथ ही कहानी पर आधारित प्रश्न भी रहेंगे, जिसे बच्चों से पूछा जाएगा।
स्कूलों में अंग्रेजी के लिए अपेक्षित वातावरण तैयार करने के उद्देश्य से ईएलटीआई ऑडियो कंटेंट तैयार कर रहा है जो जल्द ही यू-ट्यूब पर अपलोड किए जाएंगे। आशा है इसकी मदद से बच्चों में अंग्रेजी समझने और बोलने की क्षमता का विकास होगा। डॉ. स्कंद शुक्ल, प्राचार्य, ELTI
source http://www.primarykamaster.in/2022/12/blog-post_14.html
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