बच्चों को दिए जा रहे छोटे स्वेटर, सरकारी स्कूलों में स्वेटर वितरण के नाम पर मनमानी
राजधानी लखनऊ में बड़े बच्चों को थमाया जा रहा छोटे साइज का स्वेटर, वितरण में जमकर धांधली
लखनऊ : बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा परिषदीय और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों को मुफ्त स्वेटर वितरण की व्यवस्था में इस बार भी सेंध लगी है। हर बार की तरह इस बार भी जब ठंड शुरू हुई तो विभाग को स्वेटर वितरण की याद आई। उस पर भी मानकों को दरकिनार कर स्वेटर बच्चों को थमाए जा रहे हैं। आलम यह है कि कक्षा छह के बच्चों को कक्षा दो के बच्चे के साइज का स्वेटर देकर खानापूर्ति की जा रही है।
शिक्षा विभाग के मुताबिक परिषदीय स्कूल करीब 1200 व पूर्व माध्यमिक स्कूल 640 हैं। कुल बच्चों की संख्या एक लाख 96 हजार है। विभाग का दावा है कि करीब 80 हजार स्वेटर किए जा वितरित किए जा चुके हैं। प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों के मुताबिक कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को क्रमश: 26, 28 30 और 32 नंबर तक स्वेटर आते हैं। इसी तरह कक्षा पांच से कक्षा आठ तक के बच्चों को 32, 34, 36 और 38 नंबर साइज आता है। गंभीर बात यह है कि अधिकांश बच्चों को 32 नंबर यानि छोटे साइज के ही स्वेटर वितरित किए जा रहे हैं। एक बच्चे के पिता ने बताया कि उनको 32 नंबर का स्वेटर दिया गया है। ऐसे में सवाल यह है कि बड़े बच्चों को आखिर छोटे साइज के स्वेटर क्यों दिए जा रहे हैं?
स्वेटर जिस एजेंसी से बंटवाए जा रहे हैं, उनकी गुणवत्ता और साइज तक नहीं देखा जा रहा है। जूनियर विद्यालयों में बच्चों की नाप से बहुत छोटे स्वेटरों की सप्लाई की जा रही है, जोकि उचित नहीं है। -विनय कुमार सिंह, प्रांतीय अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन
यह देखा जाएगा कि बीएसए ने आखिर किस साइज के स्वेटर ऑर्डर किए थे। अगर बड़े बच्चों को भी छोटे साइज के स्वेटर दिए जा रहे हैं तो यह गलत है। इसकी पूरी जांच कराई जाएगी। - पीएन सिंह, एडी बेसिक
अगर ऐसा हुआ है तो इसके लिए खंड शिक्षाधिकारी जिम्मेदार हैं। बच्चों को किस साइज के स्वेटर लगेंगे, इसका ब्योरा खंड शिक्षाधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराया गया है। खंड शिक्षाधिकारियों से जवाब तलब किया जाएगा। - दिनेश कुमार, बीएसए
लखनऊ । बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा परिषदीय और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों को मुफ्त स्वेटर वितरण की व्यवस्था में इस बार भी सेंध लगी है। हर बार की तरह इस बार भी जब ठंड शुरू हुई तो बच्चों को स्वेटर वितरण की याद आई। उस पर भी मानकों को दरकिनार कर तैयार किए गए स्वेटर बच्चों को थमाये जा रहे हैं। आलम यह है कि कक्षा 6 के बच्चों को कक्षा 2 के बच्चे के साइज का स्वेटर देकर खानापूरी की जा रही है। स्पष्ट है कि इस बार भी स्वेटर वितरण में जमकर धांधली हुई है।
प्राथमिक विद्यालय विद्यालयों के शिक्षकों के मुताबिक कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को क्रमशः 26, 28 30 और 32 नंबर तक के स्वेटर साइज में आते हैं। इसी तरह कक्षा पांच से कक्षा आठ तक के बच्चों को 32 (कॉमन), 34, 36, और 38 नंबर का स्वेटर साइज में आता है। मगर बेहद गंभीर बात यह है कि अधिकांश बच्चों को 32 नंबर यानि छोटे साइज के ही स्वेटर वितरित किए जा रहे हैं। नाम न उजागर करने की शर्त पर मोहनलालगंज के एक अभिभावक ने बताया कि उनका बच्चा कक्षा सात में पड़ता है और उन्हें दिए गए स्वेटर का साइज 32 नंबर है। इसी तरह कक्षा पांच में पढ़ने वाले एक बच्चे के पिता ने बताया कि उन्हें दिए गए स्वेटर का साइज भी 32 नंबर ही है। ऐसे में सवाल इस बात का है कि बड़े बच्चों को आखिर छोटे से आए साइज के स्वेटर क्यों दिए जा रहे हैं? क्या बड़े बच्चों के साइज के स्वेटर तैयार नहीं किए गए? या इसमें भी कोई बड़ी धांधली है।
प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह के मुताबिक, स्वेटर खरीद कर बाटने की जिम्मेदारी जब शिक्षकों को दी जाती है तो सारे नियम सामने आ जाते थे, अब वही स्वेटर जिस भी एजेंसी से बटवाये जा रहे है उनकी गुणवत्ता और साइज तक नहीं देखा जा रहा है। जूनियर विद्यालयों में बच्चो की नाप से बहुत छोटे स्वेटर की सप्लाई की जा रही है, जो उचित नही है।
पैक लिफाफे में थमाया जा रहा है स्वेटर
बच्चों अभिभावकों की मानें तो बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा वितरित किए जा रहा है स्वेटर पैक लिफाफे में स्वेटर थमा दिया जा रहा है। जबकि बच्चों के नाम का स्वेटर है य नहीं इसके लिए उन्हें पहना कर भी देखा जा सकता है। मगर जिम्मेदार सिर्फ स्वेटर के नाम पर औपचारिकता पूरी करते नजर आ रहे हैं।
क्या कहते हैं एडी बेसिक ?
एडी बेसिक पीएन सिंह के मुताबिक, यह दिखवाया जाएगा। आखिर किस साइज के स्वेटर बेसिक शिक्षा अधिकारी ने आर्डर किए थे। अगर, बड़े बच्चों को भी छोटे साइज के स्वेटर दिया जा रहा है तो यह बेहद गलत है। इसकी पूरी जांच कराई जाएगी।
source http://www.primarykamaster.in/2020/11/blog-post_81.html
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