लाभ वाले शिक्षण संस्थान आयकर में छूट नहीं मांग सकते: सुप्रीम कोर्ट, केवल शिक्षा में लगे रहने पर ही संस्थानों को मिल सकता है लाभ
लाभ वाले शिक्षण संस्थान आयकर में छूट नहीं मांग सकते: सुप्रीम कोर्ट, केवल शिक्षा में लगे रहने पर ही संस्थानों को मिल सकता है लाभ
नई दिल्ली। यह मानते हुए कि हमारे संविधान ने शिक्षा को चैरिटी (दान) के समान माना है, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा है कि संस्थान या ट्रस्ट कर छूट के लाभों का दावा तभी कर सकते हैं। जब वे केवल शिक्षा में लगे हों, न कि लाभ की किसी अन्य गतिविधि में आईटी अधिनियम की धारा-10 आय के कुछ वर्गों पर कराधान से छूट देती है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि ऐसे संस्थानों का उद्देश्य लाभोन्मुख प्रतीत होता है तो उन्हें आयकर अधिनियम की धारा 10 (23सी) के तहत मंजूरी नहीं मिल सकती है।
मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने मुख्य आयकर आयुक्त के आदेशों के खिलाफ न्यू नोबल एजुकेशनल सोसाइटी और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं के एक समूह पर यह फैसला सुनाया है। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि घोषित कानून भविष्यलक्षी (भावी) प्रभाव से काम करेगा।
अदालत ने कहा है, एक ज्ञान आधारित सूचना संचालित समाज में सच्ची संपत्ति शिक्षा है और उस तक पहुंच है। प्रत्येक सामाजिक व्यवस्था धर्मार्थ प्रयास को समायोजित करती है और यहां तक कि पोषित भी करती है क्योंकि यह वापस देने की इच्छा से प्रेरित है, जो किसी ने समाज से लिया है या लाभान्वित किया है। हमारा संविधान एक ऐसे मूल्य को दर्शाता है जो शिक्षा को चैरिटी के बराबर मानता है। इसे न तो व्यवसाय, न ही व्यापार और न ही वाणिज्य के रूप में माना जाना चाहिए।
source http://www.primarykamaster.in/2022/10/blog-post_77.html
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