फैसला : वित्तविहीन स्कूलों को अब नहीं मिला करेगी सरकारी मदद, अपने निजी स्रोतों से ही सारे खर्च वहन करने पड़ेंगे।
फैसला : वित्तविहीन स्कूलों को अब नहीं मिला करेगी सरकारी मदद, अपने निजी स्रोतों से ही सारे खर्च वहन करने पड़ेंगे।
यूपी बोर्ड ने मान्यता शर्तों में बदलाव करके वित्तविहीन स्कूलों को सरकारी मदद के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं। पहले वित्तविहीन स्कूलों को सरकार ग्रांट-इन-एड पर ले लेती थी लेकिन अब जो बदलाव किए गए हैं उनके अनुसार स्कूलों को अपने निजी स्रोतों से ही सारे खर्च वहन करने पड़ेंगे। संशोधित शर्तों में साफ लिखा है कि-विद्यालय संचालन हेतु आवर्तक एवं अनावर्तक व्यय भार निजी स्रोतों से वहन करने का प्रबंध समिति का प्रस्ताव प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
इंटरमीडिएट एक्ट 1921 की धारा सात के अंतर्गत वित्त विहीन स्कूलों को जो मान्यता दी जाती थी, वह खत्म कर दी गई है। इस धारा के अंतर्गत ही वित्त विहीन स्कूल आगे चलकर ग्रांट-इन-एड पर आ जाते थे। छात्र-छात्राओं से लिए जा रहे शिक्षण शुल्क का लेखाजोखा स्कूल को रखना होगा और शिक्षण शुल्क का कम से कम 70 प्रतिशत शैक्षिक एवं अन्य कमियों के परिलब्धियों (वेतन आदि) पर खर्च करना होगा। यही नहीं नई मान्यता लेने वाली संस्था को शैक्षिक कर्मियों/शिक्षणेत्तर कर्मियों की सेवा शर्तों एवं परिलब्धियों का अनुपालन राज्य सरकार की व्यवस्था के अनुसार करना होगा।
source http://www.primarykamaster.in/2022/08/blog-post_27.html
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